हिसार जिले में पड़ने वाली बरवाला नगरपालिका का दर्जा बढ़ाकर किया गया नगर परिषद
31 अक्टूबर 2025 को शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने प्रकाशित की नोटिफिकेशन
12 अगस्त 2025 को ऐसी ही अधिसूचना द्वारा पानीपत में समालखा नगरपालिका को भी अपग्रेड कर बनाया गया था नगर परिषद
जून, 2022 में हालांकि बरवाला और समालखा में नगरपालिका के तौर पर कराये गए थे आम चुनाव, दोनों के मौजूदा सदन का पौने दो वर्ष कार्यकाल लंबित
भारत के संविधान और हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 अनुसार निकाय का दर्जा बढ़ाने मात्र से स्वत: भंग नहीं हो जाती पूर्ववत निर्वाचित निकाय — एडवोकेट हेमंत
चंडीगढ़ – शुक्रवार 31 अक्टूबर 2025 को हरियाणा सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव विकास गुप्ता की हस्ताक्षरित सील से प्रदेश सरकार के गजट में प्रकाशित एक नोटिफिकेशन (अधिसूचना) मार्फ़त हिसार जिले में स्थापित बरवाला म्युनिसिपल कमेटी अर्थात नगरपालिका समिति (न.पा.) का दर्जा बढ़ाकर नगर परिषद (न.प.) कर दिया गया है. उक्त अधिसूचना के बाद बरवाला प्रदेश की 25 वीं नगर परिषद बन गई है.
सनद रहे कि करीब तीन माह पूर्व 12 अगस्त 2025 को इसी प्रकार शहरी निकाय विभाग द्वारा प्रकाशित एक गजट नोटिफिकेशन मार्फ़त पानीपत जिले में स्थापित समालखा नगरपालिका को भी अपग्रेड कर नगर परिषद बना दिया गया था. समालखा हरियाणा की 24वीं नगर परिषद बनी थी.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि विगत छ: वर्षो में प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा पहले तत्कालीन संयुक्त अम्बाला (शहर और कैंट) नगर निगम के क्षेत्र में परिवर्तन कर कैबिनेट मंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र अम्बाला सदर (कैंट ) के लिए नई न.प. और फिर पंचकूला नगर निगम की सीमा में बदलाव कर कालका और पिंजौर दोनों क्षेत्रों के लिए संयुक्त नगर परिषद स्थापित की गई थी. उसके बाद तत्कालीन झज्जर न.पा. और फिर नूहं न.पा. का दर्जा बढ़ाकर नगर परिषद किया गया. तत्पश्चात गुरुग्राम जिले में पटौदी न.पा. और हेली मंडी न.पा. को साथ मिलाकर पटौदी मंडी न.पा. स्थापित की गई और अब हाल ही में पहले समालखा और फिर बरवाला को न.प. बनाया गया है जिससे प्रदेश में 25 नगर परिषदे और 51 नगर पालिकाएं हो गई हैं.
बहरहाल, मौजूदा समालखा और बरवाला दोनों नगरपालिका समितियों के नगर परिषद के तौर पर अपग्रेड करने के समय पर गंभीर कानूनी सवाल उठाते हुए हेमंत ने बताया कि आज से सवा तीन वर्ष पूर्व जून, 2022 में जब हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश की 18 नगर परिषदों और 28 नगर पालिकाओ के आम चुनाव कराये गए थे, तब उनमें समालखा और बरवाला दोनों निकायों के नगरपालिका के तौर पर आम चुनाव कराये गए थे एवं चुनाव सम्पन्न होने पश्चात 4 जुलाई 2022 में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इन दोनों नगर पालिका के प्रत्यक्ष निर्वाचित अध्यक्ष और पालिका क्षेत्र के सभी वार्डो से निर्वाचित सदस्यों (जिन्हें आम भाषा में पार्षद या कोंसलर कहा जाता है हालाकि हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 में यह शब्द सदस्य है ) के नामों की निर्वाचन नोटिफिकेशन प्रदेश के शासकीय गजट में प्रकाशित की गई थी जिस कारण मौजूदा समालखा नगरपालिका और बरवाला नगरपालिका सदन का कार्यकाल जुलाई, 2027 तक अर्थात करीब पौने दो वर्ष शेष है.
हेमंत ने बताया कि हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 12 के अनुसार और भारत की संविधान के अनुच्छेद 243 यू(1) के अंतर्गत हर निर्वाचित नगर निकाय का कार्यकाल उसकी पहली आयोजित बैठक से पांच वर्ष तक होता है हालांकि उसे समयपूर्व कानूनन भंग किया जा सकता है. 1973 कानून की धारा 254 में मौजूदा निर्वाचित नगरपालिका को राज्य सरकार द्वारा कुछ विशेष और विकट परिस्थितियों में समयपूर्व भंग करने का प्रावधान तो है परन्तु उसमें ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि अगर किसी निर्वाचित नगर पालिका का दर्जा बढाकर प्रदेश सरकार द्वारा नगर परिषद किया जाता है, तो इससे वह स्वत: भंग हो जायेगी. वैसे भी किसी मौजूदा निर्वाचित नगर निकाय का दर्जा अपग्रेड करने मात्र से उस निकाय को भंग नहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसा करना पूर्णतया अलोकतांत्रिक होगा. इस प्रकार जब तक समालखा नगरपालिका और बरवाला नगरपालिका का मौजूदा कार्यकाल जुलाई, 2027 तक पूरा नहीं हो जाता, तब तक उसे नगर परिषद् के तौर पर अपग्रेड करने पर गंभीर कानूनी सवाल उठता है.
वैसे अगस्त, 2025 में मौजूदा समालखा नगरपालिका का दर्जा बढ़ाकर और अब अक्टूबर, 2025 में बरवाला नगर परिषद करने के फलस्वरूप हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उसके एक वर्ष के भीतर अर्थात क्रमश: अगस्त, 2026 और अक्टूबर, 2026 तक नई गठित समालखा नगर परिषद और बरवाला नगर परिषद के प्रथम आम चुनाव करना भी कानूनन आवश्यक है हालांकि अगर ऐसा किया गया तो वर्तमान निर्वाचित समालखा और बरवाला नगरपालिका अर्थात उसके प्रत्यक्ष निर्वाचित अध्यक्ष और सभी वार्ड सदस्यों का पांच वर्ष कार्यकाल जो हालांकि जुलाई, 2027 तक है भी प्रभावित होगा जिससे वह इसके विरूद्ध अदालत जा सकते हैं. अब शहरी स्थानीय निकाय विभाग इस पर क्या कार्रवाई करता है, यह देखने लायक होगा.